Jeevan Gathayein
जैसे सूर्य के उदय होने पर कमल की पंखुङियां खिल जाती हैं एक दीपक की ज्योति से दूसरे दीपक को ज्योति मिल जाती है, वैसे ही, जब हम जैन सन्तो और श्रावको का ध्यान करते हैं तो शान्ति और सुख की फ़ुहार से हमारी आत्मा भीग जाती हैं आइये आपको आमन्त्रण है, जाने वीतरागी सन्तो को किस प्रकार से उन्होने, अपने चेतन तत्व को जान लिया अचेतन से भिन्न अपने को जान, वीतरागी सुख प्रकट किया महावीर की आज्ञा पर, जिन्होने पूरा जीवन बिता दिया ऐसे सन्तो की आज्ञा पर पूरा जीवन बिता दे हम उनके चरणो की रज को मस्तक से लगा ले हम उनके पद चिन्हो पर, अपनी यात्रा शुरू कर दे हम फ़िर कोई आश्चर्य नहीं, कि एक दिन उन जैसे बन जायें हम आओ हम ऋषियों को जाने, आओ हम गुरूओं को जाने कैसे उन्होने इच्छाओं को जीत लिया, कैसे उन्होने सुख प्रकट किया कैसे उन्होने निज चेतन में रमण किया, कैसे तीन रत्नो को अपना लिया और फ़िर किसी दिन हम भी निकल पङे उस पथ पर, .. जिससे कभी लोटना ना हो .. जिसमें पूर्ण स्वतन्त्रता हो .. जिसमें मात्र ज्ञान हो .. जिसमें मात्र सुख हो |